पूरी पूजा विधि मंत्रों सहित, स्कंद षष्ठी व्रत कथा, तमिल और हिंदी परंपरा का अंतर
नीचे षष्ठी व्रत (स्कंद षष्ठी) से जुड़ी पूरी पूजा विधि (मंत्रों सहित), व्रत कथा, और तमिल व हिंदी परंपरा का अंतर क्रमबद्ध रूप से दिया गया है। 🙏
1️⃣ स्कंद षष्ठी व्रत – पूरी पूजा विधि (मंत्रों सहित)
🌅 प्रातःकाल की तैयारी
- ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान करें
- स्वच्छ पीले या लाल वस्त्र पहनें
- घर के पूजास्थल में भगवान स्कंद / मुरुगन की मूर्ति या चित्र स्थापित करें
- व्रत का संकल्प लें
🪔 संकल्प मंत्र
ॐ विष्णुर्विष्णुर्विष्णुः ।
अद्य (तिथि, वार, स्थान) शुभ षष्ठी तिथौ
मम (अपना नाम) सर्वकष्ट निवारणार्थं
श्री स्कंद प्रीत्यर्थं
षष्ठी व्रतं करिष्ये ।
🌸 ध्यान मंत्र
ध्यानम्—
शक्तिधरं स्कंदमुरारिसुतं
त्रिनेत्रं शूलधरं वरदं।
शिखिवाहनं देवसेनापतिं
वन्दे गुहं सर्वसुखप्रदम्॥
🔔 आवाहन मंत्र
ॐ स्कंदाय आवाहयामि ।
ॐ मुरुगाय आवाहयामि ।
🌺 पंचोपचार / षोडशोपचार पूजा
(जल, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य)
- जल अर्पण मंत्र
ॐ स्कंदाय नमः ।
- पुष्प अर्पण मंत्र
ॐ सुब्रमण्याय नमः ।
- धूप अर्पण मंत्र
ॐ कुमाराय नमः ।
- दीप अर्पण मंत्र
ॐ कार्तिकेयाय नमः ।
🍎 नैवेद्य
- फल, पंचामृत, दूध, मिठाई
ॐ देवसेनापते नमः ।
📿 विशेष मंत्र जप (108 बार)
ॐ सरवणभवाय नमः ।
या
ॐ सुब्रमण्याय नमः ।
📖 स्कंद स्तोत्र / कवच (संक्षेप)
स्कन्द स्कन्द महाबाहो
देवसेनापते प्रभो।
मम दुःखं हर स्वामिन्
भक्तिं मे दृढतां कुरु॥
🔥 आरती मंत्र
जय जय आरती स्कंद प्रभु की।
सुरनर मुनिजन सेवत जिनकी॥
🌙 व्रत पारण
- सायंकाल पूजा के बाद
- फलाहार या एक समय भोजन
- अगले दिन सूर्योदय के बाद पूर्ण भोजन
2️⃣ स्कंद षष्ठी व्रत कथा
प्राचीन काल में तारकासुर नामक असुर ने देवताओं को अत्यंत कष्ट दिया। उसे वरदान था कि केवल शिवपुत्र ही उसका वध कर सकता है।
देवताओं की प्रार्थना से भगवान शिव और माता पार्वती के तेज से छः अग्नि-कुंडों में बालक स्कंद उत्पन्न हुए।
छः कृतिकाओं ने उनका पालन किया, इसलिए वे कार्तिकेय कहलाए।
छठे दिन उन्होंने दिव्य रूप धारण कर तारकासुर का वध किया और देवताओं को भयमुक्त किया।
इसी कारण षष्ठी तिथि भगवान स्कंद को अत्यंत प्रिय है।
जो श्रद्धा से स्कंद षष्ठी व्रत करता है—
- उसे शत्रु बाधा से मुक्ति
- रोगों का नाश
- संतान सुख और साहस प्राप्त होता है
3️⃣ तमिल और हिंदी परंपरा में अंतर
| विषय | तमिल परंपरा | हिंदी (उत्तर भारतीय) परंपरा |
|---|---|---|
| नाम | स्कंद षष्ठी / सुब्रमण्य षष्ठी | षष्ठी व्रत |
| अवधि | 6 दिन उपवास | केवल षष्ठी तिथि |
| पूजा भाषा | तमिल + संस्कृत | संस्कृत + हिंदी |
| प्रमुख मंत्र | कंद शष्ठि कवचम् | ॐ सरवणभवाय नमः |
| प्रसिद्ध स्थल | तिरुचेंदूर, पलनी | उज्जैन, काशी |
| व्रत उद्देश्य | विजय, साहस | संतान सुख, कष्ट निवारण |
🌺 विशेष मान्यता
“स्कंद षष्ठी व्रत करने से जीवन के छह दोष नष्ट होते हैं।”







