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If you would like your app to run on web or windows, consider running flutter create .
to generate projects for these platforms.
# 1) Check Flutter and devices
flutter doctor -v
flutter devices
# 2) Enable platforms if not already enabled
flutter config --enable-windows-desktop
flutter config --enable-web
# 3) Generate platform projects (safe to run, but backup if you have custom native files)
flutter create --platforms=windows,web .
# 4) Verify devices and run
flutter devices
flutter run -d windows # to run on Windows desktop
flutter run -d chrome # to run on web (Chrome)
रात में पत्नी से लिपट कर सो जाओ, और रात भर आलिंगन करो, सुबह उठो तो पत्नी खुश। और जब पत्नी खुश तो मैं खुश, और जब मैं खुश तो पूरा परिवार खुश।
शादी की उम्र हो रही थी और मेरे लिए लड़कियां देखी जा रही थीं। मैं मन ही मन में काफी खुश था कि चलो कोई तो ऐसा होगा जिसे मैं अपना हमसफर बोलूंगा, जिसके साथ जब मन करे प्यार करूंगा। मेरी अच्छी खासी नौकरी थी, घर में बूढ़ी मां और पापा थे, और इतनी कमाई थी कि अपने पत्नी का खर्चा उठा सकूं। ये सारी बातें सोच-सोचकर खुश होता था। मां की उम्र भी हो गई थी, तो एक प्वाइंट ये भी लोगों को बताता कि मुझे शादी की कोई जल्दी नहीं, ये तो मां हैं जिनकी उम्र निकल रही है, उनके लिए शादी करनी है। मां ने भी लोग मेरी बात मानते, लेकिन मन ही मन में तो मैं भी चाहत थी कि मेरी शादी हो जाए।
मेरी शादी दिव्या से फिक्स हो गई। मैंने दिव्या को बोला कि हम आगे जाकर बहुत अच्छी जिंदगी जीने वाले हैं, क्योंकि मेरे घर में कोई नहीं है। बस तुम्हें मेरे मां-बाप का ध्यान रखना होगा। दिव्या ने तुरंत बोला, “आपके मां-बाप भी मेरे मां-बाप हो जाएंगे शादी के बाद।” दिव्या की अच्छी बातों से मुझे दिन-रात और ज्यादा प्रेम होने लगा था। कभी परिवार संभालने की बातें, कभी शरारत भरी रोमांटिक बातें सुनकर मैं बहुत खुश था।
मानो एक परफेक्ट जिंदगी मुझे मिल गई हो। शादी के बाद हम दोनों घूमने गए, सब कुछ बहुत अच्छा था। ना जाने क्यों इस पल हम दोनों को ऐसा लगता था कि बस हम एक-दूसरे से लिपटे रहें। अब जिनकी शादी हुई होगी, वो समझ पा रहे होंगे कि मैं क्या बोलना चाहता हूं।
घूमने के बाद जब घर आया, तो ज्यादातर समय ऑफिस के लिए ही होता था। छुट्टी में जब कभी मम्मी-पापा बाहर जाते, तो दिव्या मैडम मूड में रहती थी। कब, क्या, कहां, कैसे हो जाता था, पता नहीं चलता था।
मुझे अब लगने लगा था कि एक ऐसी पत्नी मिली है, जो घर की जरूरतों को समझती है, साथ में मेरी शारीरिक जरूरतों का भी ध्यान रखती है। संबंध बनाने के लिए खुद ही पहल करती है, और यदि कभी मैं कर दूं तो माना नहीं करती बल्कि पूरा साथ देती है। अब जिंदगी में इससे अच्छा क्या होगा? फालतू में मेरे दोस्त बोलते थे कि शादी मत करो, लाइफ खराब हो जाती है।
हमारी शादी को 2 महीने हुए थे, दिव्या ने बोला, “अजी, मुझे साड़ी में दिक्कत होती है, क्या मैं घर पर सूट पहन सकती हूं?”
मैंने तुरंत बोला, “हां, क्यों नहीं पहन सकती हो, चलो अभी दिलाता हूं।” हम दोनों बाजार से घर आए, मम्मी ने उसके हाथ में सूट देखा, कुछ बोली नहीं।
अगली सुबह जब वह नहाकर सूट पहनकर निकली, तो मम्मी ने बोला, “तुमने सूट क्यों पहन लिया? हमारे यहां शादी के 6 महीने तक नई बहू को सिर्फ साड़ी पहननी होती है। रोज कोई न कोई देखने आता है, सबके सामने सूट पहनकर जाओगी, अच्छा नहीं लगेगा। और बार-बार दिन भर कपड़ा बदलो, ये भी अच्छा नहीं है।”
इस पर दिव्या ने मां को सॉरी बोला और बोली, “मैंने तो इनसे पूछकर लिया था।”
तभी मां बोलती हैं, “ये कौन होता है ये सब डिसाइड करने वाला? अभी मैं हूं तो मैं करूंगी, जब मैं मर जाऊं तो जैसे मन वैसे रहना।”
इसे सुनने के बाद आज मुझे पहली बार घर में अपनी औकात का पता चला। मासूमियत से दिव्या मेरी तरफ देख रही थी, शायद ये बताना चाहती थी कि मेरी वजह से उसे डांट पड़ गई।
पत्नी प्रेम में लिप्त होकर मैंने मां से बोल दिया, “अरे मम्मी, उसकी गलती नहीं है, मुझसे पूछी थी वो।”
मां ने तुरंत बोला, “2 महीने हुआ नहीं और आगए पत्नी का पक्ष लेने। इस घर में मालिक मैं हूं या तुम हो?”
अब मेरे पास कोई जवाब नहीं था, हम दोनों एक-दूसरे को देखे और अंदर चले गए।
इस बात से दिव्या डर गई थी और अब वह हर काम मां से पूछकर करने लगी। लेकिन मां के लिए ये भी एक आफत था, अब उनका कहना था कि तुम 28 साल की हो, तुम्हें खुद बुद्धि होनी चाहिए कि क्या करना है, क्या नहीं। हर चीज के लिए मेरे पास मत आया करो।
लेकिन अब इस बार दिव्या भी चिढ़ गई, पर मां कुछ बोली नहीं। जब मैं ऑफिस से आया तो अंदर आते ही मां बोलने लगी, “तुम्हारी धर्मपत्नी को बुद्धि नाम की चीज नहीं है।” मैंने मां को समझाया कि जाने दो, सीख जाएगी, थोड़ा समय दो। इस पर मां ने मुझसे मुंह फूला लिया और उदास रोते मन से कहा, “तुम बदल गए हो।” और पीछे से धीरे-धीरे मेरे पिता जी देखते हुए हंस रहे थे, मानो ऐसा जता रहे हों कि कैसे उन्होंने पहले ही भविष्य देखा हुआ था।
इसके बाद कमरे में गया तो वहां दिव्या का मुंह खुला हुआ था। कमरे में घुसते ही उसने मुझसे बोला, “मैं कितनी भी कोशिश कर लूं, मां कभी खुश नहीं होती। हर चीज की एक सीमा होती है और यह सारी बातें सीमा से भी ऊपर हैं।”
मैंने उसे पकड़ा और बोला, “घबराओ मत, थोड़ा समय लगेगा मां को संभालने में, क्योंकि तुम्हारे अलावा उनका कोई और नहीं है। वह तुम्हें अपना मानती हैं इसलिए तुमसे ऐसी बातें करती हैं। चलो, चल के नीचे खाना खाते हैं, बहुत तेज भूख लगी है।”
ऐसा बोलकर हम नीचे आते हैं और मैं मन में ही सोचता हूं, दिव्या को तो मैं धीरे से किसी भी तरह से मना लूंगा, एक रात की बात है, एक बार जहां लिपट के सोया, सब कुछ सुबह ठीक हो जाएगा। मां के लिए कुछ सोचना पड़ेगा।
नीचे खाना खाने के बाद मैं और दिव्या अपने कमरे में जाते हैं। दिव्या अभी भी थोड़ी नाराज लग रही थी। मैंने उसे बोला, “क्यों मन की बात का इतना बुरा मानती हो?” उसने तुरंत मुझसे बोला, “मेरी कोई गलती भी नहीं होती और हर चीज के लिए मुझे दोषी ठहरा दिया जाता है। मैं कुछ अच्छा भी करने जाती हूं तो उसमें भी मेरी बुराई निकल जाती है।”
मैंने उसे जोर से गले लगाया और बोला, “ऐसा कुछ नहीं है, समय के साथ सारी चीज ठीक हो जाएगी।” और अब बारी थी कुछ करने की, लेकिन उसने मुझे अपने से दूर कर दिया और बोला, “मेरा मन नहीं है।”
अब जो मुझे लगता था कि एक रात लिपट के सोने से अगली सुबह सब कुछ ठीक हो जाएगा, यह बातें झूठी समझ आने लगीं। धीरे-धीरे हर छोटी-छोटी चीज पर घर में लड़ाई झगड़ा होने लगे। मां को दिव्या की कुछ चीजें पसंद नहीं आतीं और दिव्या को मां की बहुत सारी चीजें नहीं पसंद आतीं।
दिव्या का कहना था कि घर उसका भी है और हर छोटी चीज के लिए परमिशन लेना उसे ठीक नहीं लगता। उधर मां का कहना था कि इस गृहस्थी को मैंने बसाया है और तुम्हें हैंडओवर किया है, इसलिए अभी भी इसकी मालकिन मैं ही हूं। तुम्हें जो भी पूछना है मुझसे पूछ कर करो।
दोनों अपनी बात पर बिल्कुल सही थीं। एक तरफ दिव्या, जिसके साथ मुझे पूरी जिंदगी बितानी थी, दूसरी तरफ मेरी मां, जिन्होंने इस गृहस्ती को संभाला था, मुझे पाल-पोसकर बड़ा किया था। लेकिन इन दोनों की लड़ाई का असर सीधा-सीधा मेरे ऊपर दिख रहा था और मैं पिसता जा रहा था।
धीरे-धीरे बात कहीं ज्यादा बढ़ने लगी और घर में प्रतिदिन लड़ाई झगड़े की नौबत आ गई। अब मुझे भी लगने लगा था कि जो मेरे दोस्त बोलते थे कि शादी करने से बहुत ज्यादा खुशी नहीं मिलती, बल्कि लाइफ में टेंशन आता है, वह क्यों बोलते थे।
इसी तरह एक दिन अत्यधिक बात बढ़ने पर मैं रात को दोनों लोगों के कमरे में गया। सबसे पहले मैं मां के कमरे में गया और मां को समझाया, “देखो मां, तुम दोनों के झगड़े की वजह से मेरा करियर खराब हो रहा है और मैं ठीक से रह नहीं पा रहा हूं। मैं तुम्हें छोड़ नहीं सकता और ना मैं दिव्या को छोड़ सकता हूं। तो इसलिए थोड़ी नरम हो जाओ, जो चीज जैसे चल रही है, चलने दो।” इस बार मैं थोड़ा कठोर था।
मां से तुरंत बोलने के बाद मैं अपनी पत्नी के कमरे में गया और यही बात उससे भी कही, “देखो, मां की उम्र हो चुकी है। यदि तुम यह सोच रही हो कि मां अपने आप को बदल सकती हैं, तो यह होना मुमकिन नहीं है। बदलना तुम्हें खुद को होगा, जिसमें मैं तुम्हारा पूरा साथ दूंगा। मैं ना तुम्हें छोड़ सकता हूं, क्योंकि तुम मेरा भविष्य हो, और ना मैं अपनी मां को छोड़ सकता हूं, क्योंकि उन्होंने मुझे पाल-पोस कर इस लायक बनाया है।
तो कोई बीच का रास्ता निकालो और घर में शांति से रहो।”
यह बात होने के कुछ दिन बाद तक तो चीजें ठीक थीं, लेकिन धीरे-धीरे चीजें फिर से बिगड़ने लगीं। जब भी मैं ऑफिस से घर आता तो घर में घुसते ही मां दिव्या की बुराई करतीं और अपने कमरे में घुसते ही दिव्या मां की बुराई करती। मुझे समझ में नहीं आता था कि मैं किस जंजाल में फंस गया हूं।
दिव्या का पक्ष लेता तो मां बुरा मान जातीं, मां का पक्ष लेता तो दिव्या बुरा मान जातीं। और ये दोनों वही औरतें थीं जिनसे इस दुनिया में मैं सबसे ज्यादा प्रेम करता हूं।
एक समय में स्थिति ऐसी आ गई कि मुझे घर पर आने का मन नहीं करता। काम हो गया, मुझे लगता है जितना ज्यादा समय घर से बाहर रहूं, उतना अच्छा है। क्योंकि दो बार समझाने के बाद भी मेरी मां और मेरी पत्नी के बीच विवाद नहीं सुलझा रहा था।
इसी दौरान मैं अपने पापा के साथ उनके पेंशन के काम के लिए ऑफिस जाता हूं और मेरे पापा मुझसे पूछते हैं कि इतना परेशान क्यों रहते हो। मैंने उन्हें बताया कि पापा, यह दिक्कत है। तो पापा ने बोला, “यह तो दुनिया की रीति है, हर मर्द को इससे गुजरना पड़ता है। आज तुम परेशान हो, लेकिन यह चीज कभी खत्म नहीं होगी, तो तुम्हें इसी के साथ जीने की आदत डालनी होगी।”
“जब मेरी शादी हुई थी तो मैं भी यह चीज झेली है। जब तुम्हारे दादाजी की शादी हुई थी तो उन्होंने भी झेली है। तुम्हारे नाना की शादी हुई थी तो उन्होंने भी झेली है। तो अब तुम्हारी बारी है। लेकिन मैं तुम्हें एक तरीका बताता हूं जिससे हो सकता है कि चीजें काफी हद तक सुधर जाएं।” पापा ने मुझे एक तरीका बताया।
मैं घर आता हूं, चीजें ठीक चलती हैं, लेकिन धीरे-धीरे कुछ समय बाद फिर झगड़ा होना शुरू हो जाता है। इस बार मैंने दोनों को आमने-सामने बैठकर बोला, “लास्ट टाइम मैंने आप लोगों से बात की थी, पर उसका कोई भी मतलब निकाल कर नहीं आ रहा है। यदि आज के बाद फिर घर में कभी झगड़ा होता है तो मैं यह घर छोड़कर चला जाऊंगा। मैं कहीं बाहर रहूंगा और हर महीने की सैलरी आधी मां को और आधी दिव्या को दे दिया करूंगा।”
इस बात का दोनों पर कोई फर्क नहीं पड़ा।
हफ्ता बीतता है और घर में फिर झगड़ा होता है। इस बार समय था एक्शन लेने का। मैं झगड़ा होते हुए देखता हूं, पर इस बार कुछ भी नहीं बोलता। मैं ऑफिस जाता हूं और इस बार देर रात तक ऑफिस में ही रुकता हूं। जब दिव्या मुझे फोन करती है कि आप कहां हैं, तो मैं उनसे बोलता हूं, “मुझे नहीं पता मैं कहां हूं।” कुछ देर बाद मां का फोन आता है और मां भी मुझसे यही पूछती है कि तुम कहां हो, इतना देर क्यों हो रहा है? मैंने मां को भी बोल दिया कि मैं कहां हूं, मुझे भी नहीं पता।
इस दौरान मैं अपने एक अविवाहित दोस्त के घर पर रुका हुआ था, जिसके बारे में मेरे घर में किसी को नहीं पता था, सिर्फ मेरे पिता जानते थे। जब दिव्या का फोन आता है या मां का फोन आता है, तो मैं उनसे नॉर्मली बात करता हूं और उन्हें यह बोल देता हूं कि कई बार मैंने उन लोगों को समझाया है कि घर में लड़ाई झगड़ा मत करो, जिससे घर की शांति भंग होती है। इस वजह से मैं अब घर छोड़कर बाहर आ गया हूं और मैं हमेशा के लिए बाहर हूं।
यह सुनने के बाद मेरी मां घबरा गईं, दिव्या घबरा गईं कि आखिर ऐसा क्या हो गया। और दोनों मुझे फोन करके समय-समय पर यह एहसास दिलाते कि दोबारा उनसे यह गलती कभी नहीं होगी, मुझे जल्दी से जल्दी घर आ जाना चाहिए।
मां ने तो यह तक बोल दिया कि “तू क्या चाहता है, मैं बिना पोते का मुंह देखे मर जाऊं।” और दिव्या फोन करके मुझे यह बोलती कि “आपकी मां आपके लिए बहुत परेशान हैं, मेरे लिए ना सही, कम से कम उनके लिए तो वापस आ जाइए।”
मुझे यह देखकर बहुत खुशी हो रही थी कि दोनों लोग मेरे चक्कर में एक-दूसरे के बारे में सोच रहे थे। बस फर्क इतना था कि दिव्या खुलकर के मुझे बोल रही थी, पर मां इशारों में बोल रही थी।
एक हफ्ते बाद मैं घर आता हूं और घर जाकर सबसे पहले देखता हूं और पिताजी से मिलता हूं। पापा मुझे बताते हैं कि एक हफ्ते से घर में काफी शांति है और उम्मीद है आगे भी ऐसा झगड़ा नहीं होगा।
और यकीन मानिए, उस दिन के बाद से ऐसा झगड़ा दोबारा कभी नहीं हुआ। मेरी मां मेरी पत्नी के साथ अच्छे से रहती हैं और मेरी पत्नी मेरे मां के साथ अच्छे से रहती है। आज दिव्या के साथ मुझे पूरे 5 साल हो चुके हैं और हमारा एक बेटा भी है। लेकिन आज हमारे घर में गृहकलह नाम की चीज नहीं है। और इसका पूरा श्रेय मैं अपने पिता को देना चाहता हूं।
क्योंकि उस दिन जब हम पेंशन का काम करने कचहरी गए थे, तो उन्होंने ही मुझे यह आईडिया दिया था कि “तुम एक हफ्ते के लिए घर से बाहर भाग जाओ और बोल देना कि अब तुम दोबारा लौट के कभी नहीं आओगे।”
मुझे पता है मेरा यह कदम काफी ज्यादा हास्यास्पद और कुछ लोगों को बेकार लगे, पर यकीन मानिए, इस चीज ने मेरी जिंदगी बदल दी। अगर मैं आज यह कदम न उठाया होता, तो शायद हर घर की तरह मेरे घर में भी रोज लड़ाई झगड़ा हो रहा होता।
भारत में शादी सिर्फ लड़के और लड़की की नहीं होती, बल्कि लड़की और लड़के की फैमिली की भी होती है। शादी के बाद सिर्फ पत्नी के साथ जी भर के सेक्स करने से खुशी नहीं प्राप्त होती। असली खुशी तब मिलती है जब आपका परिवार भी खुश हो। और परिवार को खुश करने की जिम्मेदारी सिर्फ लड़की की नहीं होती, बल्कि पूरे परिवार की होती है। इसमें
It is not possible to delete an app from the Play Console once it has been “Removed by Google” or “Suspended by Google”. For auditing purposes and to prevent developers from circumventing policy violations, Google permanently keeps these apps in your account.
While you cannot delete the app, you have two primary options for how to proceed: appeal the removal or publish a new version under a different package name.
Option 1: Appeal the suspension
If you believe your app was removed in error, you can appeal the decision.
Option 2: Publish a new version (with changes)
If you agree with the policy violation or your appeal is denied, you can publish a new version of the app as a brand new entry.
What happens to a removed or suspended app?
// Download the current HTML as a file
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URL.revokeObjectURL(url);
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To get the day from a date in PHP, you can use the date()
function in conjunction with strtotime()
or the DateTime
class.
1. Using date()
and strtotime()
:
The date()
function formats a local date/time, and strtotime()
parses an English textual datetime description into a Unix timestamp.
2. Using the DateTime
class:
The DateTime
class provides a more object-oriented approach to working with dates and times.
format('l'); // Full day name (e.g., Tuesday)
$dayNameShort = $dateTime->format('D'); // Short day name (e.g., Tue)
$dayOfMonth = $dateTime->format('d'); // Day of the month (e.g., 07)
echo "Full day name: " . $dayNameFull . "\n";
echo "Short day name: " . $dayNameShort . "\n";
echo "Day of the month: " . $dayOfMonth . "\n";
?>
Explanation of Format Characters:
l
(lowercase L): A full textual representation of the day of the week (e.g., “Sunday” through “Saturday”).D
: A three-letter textual representation of a day (e.g., “Mon” through “Sun”).d
: Day of the month, 2 digits with leading zeros (e.g., “01” to “31”).गूगल एआई मोड में जोड़ा विजुअल सर्च
गूगल कंपनी ने अपने एआई मोड में विजुअल सर्च जोड़ा है। अब इससे यूजर्स को कई तरह के फायदे मिलेंगे। गूगल कंपनी ने बताया कि गूगल एआई मोड अब फोटो से ऑब्जेक्ट पहचान और विजुअल रिजल्ट दिखा सकता है। उपयोगकर्ता प्राकृतिक भाषा या तस्वीर के जरिए डिजाइन, शॉपिंग और अन्य आइडियाज खोज सकते हैं। हालांकि यह फीचर दुनिया के कई देशों में उपलब्ध नहीं है। इसे फिलहाल अमेरिका में उपलब्ध कराने की जानकारी दी गई है।
Google has added Visual Search to its AI Mode. This will provide users with numerous benefits. Google stated that Google AI Mode can now recognize objects from photos and display visual results. Users can search for design, shopping, and other ideas using natural language or images. However, this feature is not available in many countries around the world. It is currently available in the United States.
सोरा ऐप में छोटे वीडियो बनाने की सुविधा
ओपनएआई कंपनी ने सोरा वीडियो ऐप में कंटेंट राइट्स होल्डर्स को उनके पात्रों के उपयोग पर नियंत्रण देने और रे शेयरिंग की सुविधा देने का ऐलान किया। कंपनी ने और रेवेन्यू बताया कि डिजनी जैसे कुछ स्टूडियोज ने ऐप में सामग्री दिखाई न देने देने का विकल्प चुना। अब ऐप यूजर्स छोटे-छोटे वीडियो बना सकते हैं। ओपनएआई कंपनी का लक्ष्य है कि कंटेंट क्रिएटर्स को उचित मुनाफा मिले।
OpenAI announced the Sora video app, giving content rights holders control over the use of their characters and enabling video sharing. The company also reported increased revenue, saying some studios, like Disney, opted not to allow content to appear in the app. App users can now create short videos. OpenAI aims to ensure fair profits for content creators.
परप्लेक्सिटी कॉमेट एआई ब्राउजर फ्री
परप्लेक्सिटी द्वारा कॉमेट एआई ब्राउजर अब यूजर्स के लिए फ्री कर दिया गया है। यूजर्स इसके फ्री होने से कई चीजों का फायदा उठा सकेंगे। पहले कुछ चीजों का इस्तेमाल करने पर पैसे देने होते थे। ये सुविधा मैक और विंडोज उपयोगकर्ताओं के लिए मुफ्त है। इसका एआई असिस्टेंट वेब पेज पर सवाल-जवाब, कंटेंट सारांश और नेविगेशन में मदद करेगा। कोमेट, पारंपरिक ब्राउजरों के बजाय, वर्कस्पेस आधारित अनुभव देता है।
Perplexity’s Comet AI browser is now free for users. Users will benefit from its free availability, which previously required payment for some features. This feature is free for Mac and Windows users. Its AI assistant will assist with question-answering, content summaries, and navigation on web pages. Comet offers a workspace-based experience, rather than traditional browsers.
गूगल जेमिनी का नया लुक
गूगल जेमिनी ऐप का नया इंस्टाग्राम जैसा स्क्रोलेबल इंटरफेस टेस्ट हो रहा है। गूगल कंपनी ने इसकी घोषणा की है। इस अपडेट में विजुअल प्रॉम्प्ट, शॉर्टकट और इमेज-जेनरेशन फीचर को शामिल किया गया है। कंपनी ने बताया कि नया इंटरफेस उपयोगकर्ताओं को एआई चैटबॉट की क्षमताओं का बेहतर अनुभव देगा और इसे और आकर्षक बनाएगा। हाल ही में जेमिनी अपने कई नए फीचर्स के कारण सोशल मीडिया पर छाया हुआ है।
Google’s Gemini app is currently testing a new, Instagram-like, scrollable interface. Google has announced this update. This update includes visual prompts, shortcuts, and image-generation features. The company stated that the new interface will give users a better experience of the AI chatbot’s capabilities and make it more engaging. Gemini has recently been trending on social media due to its many new features.
विटामिन डी सप्लीमेंट सेहत पर भारी
सेहत
लंदन, एजेंसी। नए अध्ययन में पता चला है कि विटामिन डी 2 सप्लीमेंट सेहत को नुकसान पहुंचा सकता है। विटामिन डी 2 सप्लीमेंट लेने से शरीर में विटामिन डी3 की मात्रा घट सकती है।
सरे विश्वविद्यालय, जॉन इनेस सेंटर के नए शोध में खुलासा हुआ है। शोध के अनुसार, विटामिन डीउ शरीर सबसे अच्छे तरीके से इस्तेमाल होता है जो इम्यूनिटी (रोग-प्रतिरोधक शक्ति) को मजबूत करता है। विटामिन डी के दो प्रकार होते हैं। विटामिन डी 2 जो ज्यादातर पौधों और फोर्टिफाइड (पोषक तत्वों से भरपूर) खाने खाने में पाया जाता है।
अध्ययन में जब लोगों ने विटामिन डी 2 सप्लीमेंट लिया, तो उनके शरीर में विटामिन डी3 का स्तर घट गया। यानी डी 2 लेने से उल्टा असर हुआ। शरीर में उस विटामिन का स्तर कम हो गया जो ज्यादा फायदेमंद है। इसके मुकाबले विटामिन डीउ लेने वालों में बेहतर नतीजे देखे गए।
वैज्ञानिकों ने पाया कि विटामिन डीउ शरीर की पहली सुरक्षा पंक्ति को मजबूत करता है। यह टाइप-1 इंटरफेरॉन सिस्टम को सक्रिय करता है जो शरीर को वायरस और बैक्टीरिया से लड़ने में मदद करता है। विटामिन डी 2 का ऐसा कोई असर नहीं दिखा।
Health
London, RI. A new study has revealed that vitamin D2 supplements can be detrimental to health. Taking vitamin D2 supplements can reduce vitamin D3 levels in the body.
New research from the John Innes Centre, University of Surrey, has revealed that vitamin D is best utilized by the body to strengthen immunity. There are two forms of vitamin D: vitamin D2, which is found mostly in plant foods, and fortified foods.
In the study, when people took vitamin D2 supplements, their vitamin D3 levels decreased. This means that taking D2 had the opposite effect: it reduced the levels of the more beneficial vitamin in the body. In contrast, those taking vitamin D2 showed better results.
Scientists found that vitamin D strengthens the body’s first line of defense. It activates the type-1 interferon system, which helps the body fight viruses and bacteria. Vitamin D2 has no such effect.