रंक दुखी, राजा दुखी,
दुखी सकल संसार।
साध सुखी ‘सहजो’ कहे,
पायो भेद अपार।।
इस संसार में बड़े बड़े लोग हैं- कहीं कुछ हो जाता है तो उनको दुख होता है।
उदास वे भी होते हैं- जिनके पास कुछ नहीं है!
और उदास वे लोग भी होते हैं जिनके पास बहुत धन है।
सारा का सारा संसार दुखी है।
सचमुच में,
जो उस चीज के साथ जुड़ा है, जिसने अपने अन्दर स्थित शक्ति का सहारा लिया है, वही सुखी है।
अगर आप सचमुच में भक्ति करना चाहते हैं तो पहले आपको “भक्त” बनना पड़ेगा। भक्त की आँखों से देखना पड़ेगा, तब आपको भगवान मिलेगा, तब आप भक्ति कर पायेंगे।
क्या आप समझते हैं कि आपको भक्त की आँखें नहीं चाहिए?
हाँ! चाहिए, वरना आपको क्या दिखाई देगा!
अगर आपको काल से छूटना है तो “भक्त” बनना पड़ेगा।
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