प्रतीक नहीं, कामकाज का तरीका बदलें नाम बदल लेने से क्या किसी का चरित्र बदल जाता है? अगर ऐसा होता, तो भारतीय प्रशासनिक और न्यायिक तंत्र के कामकाज में अब भी ब्रिटिश साम्राज्य की झलक नहीं दिखती। 1947 में जब देश को आजादी मिली थी, तब इनके नाम के आगे भारतीय शब्द जोड़ दिया गया, […]
Discussion is Necessary to Restore Dignity
December 10, 2025 in Commentator
Discussion is Necessary to Restore Dignity
गरिमा स्थापित करने को चर्चा जरूरी लोकसभा में वंदे मातरम् पर चर्चा से लोगों को राष्ट्रगीत की गरिमा, ऐतिहासिकता और प्रासंगिकता के बारे में जानकारी मिली। पिछले 150 वर्षों में इस राष्ट्रगीत के उपयोग में कई बार उतार-चढ़ाव देखे गए। राष्ट्रीय स्वतंत्रता संग्राम के दिनों में यह आजादी के दीवानों का जोश बढ़ाने वाला नारा […]
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December 10, 2025 in Commentator
What’s the point of such symbolic politics?
प्रतीकों की ऐसी राजनीति से क्या फायदा राष्ट्रगीत वंदे मातरम् की 150 वीं जयंती के उपलक्ष्य में लोकसभा में हुई बहस ने फिर निराश किया। अव्वल तो ऐसे प्रतीकात्मक मुद्दों से किसी का भला नहीं होने वाला, इसलिए निचले सदन को देश और देशवासियों के सामने खड़ी आज की चुनौतियों पर बहस करने में ये […]
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December 9, 2025 in Commentator
Recovery of the Pound-Payna
पौंड-पावना की वसूली भारत के वित्त मंत्री श्री चिन्तामणि देशमुख ने पौंड-पावना की वसूली के संबंध में ब्रिटेन के साथ एक नये समझौते की रूपरेखा भारतीय संसद को बताई है। पौंड-पावने के रूप में भारत की जो रकम ब्रिटेन के पास जमा है, उसकी वसूली एक टेढ़ी समस्या बन चुकी है। ब्रिटेन इस स्थिति में […]
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December 9, 2025 in Commentator
Change the way you work, not the symbol.
प्रतीक नहीं, कामकाज का तरीका बदलें नाम बदल लेने से क्या किसी का चरित्र बदल जाता है? अगर ऐसा होता, तो भारतीय प्रशासनिक और न्यायिक तंत्र के कामकाज में अब भी ब्रिटिश साम्राज्य की झलक नहीं दिखती। 1947 में जब देश को आजादी मिली थी, तब इनके नाम के आगे भारतीय शब्द जोड़ दिया गया, […]
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December 9, 2025 in Commentator
A New Name Brings a Sense of Service and Duty
नए नाम से सेवा और कर्तव्य का बोध अक्सर कहा जाता है कि नाम में क्या रखा है? मगर भारतीय संस्कृति इस प्रश्न का सौधा उत्तर देती है कि नाम में ही सब कुछ रखा है। हमारे यहां ‘यथा नाम तथा गुण’ की परंपरा उतनी ही पुरानी है, जितनी हमारी सभ्यता। मौजूदा दौर में जब […]
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December 9, 2025 in Commentator
India’s Foreign Policy
भारत की विदेश नीति भारतीय संसद ने वर्तमान नाजुक अन्तर्राष्ट्रीय परिस्थिति पर दो दिन तक वाद-विवाद किया। प्रधानमंत्री श्री नेहरू ने इस बहस का सूत्रपात किया। उन्होंने नेपाल की समस्या पर खास तौर से प्रकाश डाला और फ्रांसीसी बस्तियों तथा दक्षिण अफ्रीका के भारतीयों के संबंध में भारत के दृष्टिकोण को दुहराया। स्वभावतः नेहरूजी को […]
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December 6, 2025 in Commentator
Even today, society desperately needs it.
आज भी समाज को इसकी बहुत जरूरत हमारे संविधान में पहला संशोधन इसलिए करना पड़ा था, ताकि दमित जातियों को आरक्षण मिल सके और आजाद देश से जमींदारी का उन्मूलन हो सके। उस दौरान मद्रास राज्य बनाम चंपकम दोराईराजन मामले में मद्रास राज्य के आरक्षण के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था। […]
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December 6, 2025 in Commentator
Reservation is no longer a social necessity.
आरक्षण अब सामाजिक आवश्यकता नहीं आज (6 दिसंबर) चाबा साहेब भीमराव आंबेडकर का महापरिनिर्वाण दिवस है। यह मुफीद मौका है कि हम आरक्षण पर बात करें। आरक्षण की मूल भावना सामाजिक और शैक्षणिक पिछड़ेपन को दूर करना था। संविधान-निर्माताओं ने इसे ऐसे वर्गों के उत्थान का साधन माना था, जो सदियों के अन्याय और अवसरहीनता […]
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December 6, 2025 in Commentator
Sri Aurobindo’s Passing
श्री अरविन्द का निधन जार्ज बर्नार्ड शा और रमण महर्षि के निधन के बाद योगिराज श्री अरविन्द के निधन का समाचार न केवल भारत, बल्कि सारी दुनिया में बड़े दुःख के साथ सुना जायेगा। श्री अरविन्द का विशिष्ट जीवन, विशिष्ट व्यक्तित्व और विशिष्ट कर्तृत्व ही नहीं रहा, बल्कि अपनी राजनीतिक हलचलों से जहां उन्होंने राजनीतिक […]
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December 6, 2025 in Commentator
Literature in the State House
राजकीय भवन में साहित्य नई दिल्ली, 4 दिसंबर। कई सौ वर्ष पश्चात आज प्रथम बार देशरत्न बाबू राजेन्द्र प्रसाद की कृपा से भारतीय साहित्य, भारतीय गान और भारतीय नृत्य को राजकीय भवन में उचित स्थान मिला जबकि अखिल भारतीय हिन्दी साहित्य सम्मेलन की ओर से राष्ट्रपति डाक्टर राजेन्द्र प्रसाद की 66 वीं वर्षगांठ मनाने के […]
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