kaamil kaam kamaal kiya, taine khyaal se khel banaaye diya

कामिल काम कमाल किया, तैने ख्याल से खेल बनाये दिया।।

नही कागज कलम जरूरत है, बिन रंग बनी सब मूरत है।
इन मूरत मे एक सूरत है, तैने एक अनेक लखाय दिया।।

जल बूंद को लेकर देह रची, सुर दानव मानव जीव जुदा।
सबके घट अन्दर मन्दिर में, तैने आप मुकाम जमाय दिया।।

कोई पार न वार अधार बिना, सब विश्व चराचर धार रहा।
बिन भूमि मनोहर महल रचा, बिन बीज के बाग लगाय दिया।।

सब लोकन के नित संग रहे, फिर आप असंग स्वरूप सदा।
‘ब्रह्मानंद’ आनंद भयो मन में, गुरूदेव अलख लखाय दिया।।




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