षष्ठी व्रत भगवान मुरुगन (स्कंद / कार्तिकेय / सुब्रमण्य) की ही पूजा से जुड़ा हुआ है। 🙏
षष्ठी व्रत का महत्व
- शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि भगवान स्कंद को अत्यंत प्रिय मानी जाती है।
- विशेष रूप से स्कंद षष्ठी (तमिल परंपरा में बहुत प्रसिद्ध) मुरुगन भगवान की विजय और कृपा का पर्व है।
- यह व्रत संतान सुख, रोग नाश, शत्रु बाधा से मुक्ति और साहस के लिए किया जाता है।
भगवान मुरुगन / स्कंद कौन हैं?
- भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र
- देवताओं के सेनापति
- दक्षिण भारत (विशेषकर तमिलनाडु) में मुरुगन स्वामी के रूप में अत्यंत पूजित
षष्ठी व्रत में क्या करें?
पूजा विधि (संक्षेप में):
- प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें
- भगवान स्कंद/मुरुगन की मूर्ति या चित्र स्थापित करें
- लाल या पीले फूल, दीप, धूप अर्पित करें
- फल, नैवेद्य (विशेषकर पंचामृत) चढ़ाएँ
- व्रत रखें (निर्जल / फलाहार – अपनी क्षमता अनुसार)
मंत्र (सरल और प्रभावी)
- ॐ सरवणभवाय नमः
- ॐ स्कंदाय नमः
- ॐ सुब्रमण्याय नमः
स्कंद षष्ठी विशेष
- तमिल परंपरा में 6 दिन का व्रत, 6वें दिन भव्य पूजा
- तिरुचेंदूर, पलनी, स्वामिमलाई जैसे मंदिर प्रसिद्ध







