O mind, now don’t be confused!

रे मन अब तो भ्रम न करो!

रे मन अब तो भ्रम न करो।
लुट गयी जिन्दगी, आँख न सूझे, अब तो शरम करो।।
रे मन …….

सत्य छोड़ संसार में फंस गया, नख-शिख कपट भरो।
खोई उमर अकारथ बन्दे, कबहुं ना भजन करो।
रे मन …….

जनम-जनम मालिक सों बिछड़ौ, माया में लिप्त रह्यो।
भोले भूल गया अपने को, सब कुछ जतन करो।
रे मन …….

निद्रा में सब रात गंवायी, दिन का चैन परयो।
अब भी संभल मूढ़ मन रोगी, प्रभु का ध्यान करो।।
रे मन …….

लख चैरासी जाय पड़े जब, इत उत विकल फिरो।
तब नहिं ज्ञान मिलेगा मूरख, अब ही चेत करो।।
रे मन …….

ज्ञान पाय निज अनुभव कर लो, यह तन सफल करो।
कहे ‘प्रभु’ तू सुन ले भाई, जा प्रभु शरण पड़ो।।
रे मन …….




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