💓 *आत्मा के दर्शन* 💓
संत महात्मा जन बताते हैं कि *यदि एक हीरे को कीचड़ में डाल दिया जाए तो भी वह हीरा ही रहता है । कीचड़ से आच्छादित होने के बावजूद जिस क्षण उसे धोया जाएगा, उसी समय वह पहले की तरह चमकीला और प्रकाशमान हो जाएगा ।*
सदियों से उन्होंने यह भी बतलाया हैं कि *आत्मा भी एक हीरे के समान दीप्तियुक्त है । वह अपने आप में तो विशुद्ध है! पर विषयाशक्त कामनाओं के वशीभूत होकर अंधकार और बुराइयों से आच्छादित हो गई है।*
इस काले पर्दे को हटा देने के लिए यदि उपाय किये जाएं तो *उसी चिन्मय रूप में पूर्ववत् आत्मा फिर से चमकने लगेगी।*
लेकिन याद रखो कि *ये उपाय पूर्ण सद्गुरु से ही सीखने पड़ेंगे। उनकी आज्ञा के अनुसार आचरण करने से हमें छिपी हुई देदीप्यमान आत्मा के दर्शन हो जाएंगे!*
महापुरुषों ने यह भी समझाया हैं कि *मनुष्य की सर्व इच्छाओं, कामनाओं तथा वासनाओं के पीछे आत्मा की यह लालसा सर्वदा बनी रहती है कि उसका नित्य अस्तित्व हो, उसे पूर्ण ज्ञान हो और उसे अमर आनंद मिले। जब सत्-चित्-आनंद की अनुभूति होती है, तब उसकी अभीष्ट अभिलाषा पूरी हो जाती है। वह पूर्ण जो हम सभी में विद्यमान है, उसी से हमारी आत्मा की चेतना ओतप्रोत है तथा समाहित है।*
याद रहे कि *हम मिथ्या अहंकार तथा अज्ञान के कारण उस अध्यात्मिक वृत्ति को भूल ही जाते हैं। लेकिन समय के सद्गुरू के सानिध्य से, उनकी कृपा से ही वह आत्म ज्ञान तथा आत्मा की अनुभूति पाकर मुक्ति प्राप्त की जा सकती है ।*
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