September 14, 2022 in Stories
सुलझे हुए संस्कारो वाली
सुलझे हुए संस्कारो वाली “बिटिया कुछ है क्या खाने को” दोपहर तीन बजे के आसपास रामेश्वर बाबू ने बहु के कमरे में आवाज लगाते हुए कहा “ये भी कोई वक्त है खाने का और अभी ग्यारह बजे दिया था ना दूध वाला दलिया फिर अब तीन बजे है जो रोटी सब्जी बनाई थी खत्म हो […]